बड़ी मुश्किल से सींचा
सुरेंद्र सैनी...
बेज़ार कैसे...
तुझे देखते-तकते नज़र खुमार कैसे हुआ
दवाएं थी फिर भी तू बीमार कैसे हुआ
कल तक तू था कितने काम का बंदा
तू दुनिया की नजर में बेकार कैसे हुआ
बड़ी मुश्किल से सींचा था बाग दिल का
छोटी सी क्यारी का गुलजार कैसे हुआ
खामोश सी जगह जहां दोस्त मिल बैठते थे
ये समां सूना ये जगह मज़ार कैसे हुआ
तेरी लेखनी में जाने क्या कमी हे "उड़ता"
यह लफ्जों का संसार बेजर कैसे हुआ