सफाई कर्मचारियों ने निकाला विशाल मार्च
मामला नगर निगम में ठेकेदारी प्रथा का...
लखनऊ | सफाई कर्मचारियों की समस्याओं एवं ठेके पर सफाई व्यवस्था करवाने के विरोध में लखनऊ नगर निगम से हजारों सफाई कर्मियों ने विरोध मार्च निकालकर प्रदर्शन किया,सफाई कर्मी नगर निगम की बीमार व्यवस्था एवं सफाई कर्मियों का नियमितीकरण के साथ-साथ ठेके पर सरकार द्वारा सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के आदेश के खिलाफ लामबंद होकर प्रदर्शन करने को मजबूर हुए|
सैकड़ों सफाई कर्मचारी नगर निगम भवन के समक्ष एकत्रित हुए तथा वहां से नोवेल्टी सिनेमा लालबाग बसंता टॉकीज के नाजा मार्केट हजरतगंज चौराहा होते हुए गांधी प्रतिमा के समक्ष एकत्रित हुए कर्मचारियों ने अपने हाथों में स्लोगन लिखी तख्तियां उठा रखी थी तथा सरकार के विरुद्ध जोरदार नारेबाजी कर रहे थे|
दूसरा रूख... इस तस्वीर का...
एक और हजारों सफाई कर्मी नगर निगम के सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर तस्वीर का दूसरा रूख यह है कि हजारों लाखों सफाई कर्मियों के होने के बावजूद राजधानी लखनऊ कूड़े से पटी पड़ी है|
नालियां सफाई के अभाव में बिजबिजा रही हैं नए लखनऊ के क्षेत्र गोमती नगर इंदिरा नगर आति में तो फिर कुछ व्यवस्था है किंतु पुराने लखनऊ विशेषकर लालबाग कैसरबाग मॉडल हाउस हुसैनगंज अमीनाबाद नजीराबाद मौलवीगंज रकाबगंज मसाज गंज वजीरगंज गोलागंज सिटी स्टेशन नखास चौक चौपटिया सहादत गंज ठाकुरगंज मुसाहिबगंज अबरगंज कश्मीरी मोहल्ला ठाकुरगंज बालागंज आदि क्षेत्र कूड़े से पटे पड़े हैं| कारण नियमित सफाई कर्मियों का ना होना तथा संविदा पर रखे गए सफाई कर्मियों की कार्य शिथिलता|जिसका प्रमुख कारण नगर निगम में फैला व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार है|
कुछ वर्षों पूर्व एक सांसद हुआ करते थे नाम था अच्छेलाल बाल्मीकि जिनकी कृपा दृष्टि से उनके कुछ परिचित एवं परिवार वाले नगर निगम में सरकारी नौकरी पा गए थे समय के साथ यह इतने शक्तिशाली एवं बलवान हो गए के पूरे नगर निगम पर एकछत्र राज्य स्थापित कर बैठे| हाल यह है कि नियमित सफाई कर्मियों का अभाव है|
संविदा पर रखे गए सफाई कर्मियों के साथ सौतेला व्यवहार होता है उनसे 8.000 के कागज पर सिग्नेचर कराकर महज 4.000 से 5.000 प्रति महा वेतन दिया जाता है|
इतने कम पैसों में संविदा पर रखे गए सफाई कर्मी भी मात्र सफाई की औपचारिकता ही निभाते हैं जिसके कारण पुराने लखनऊ सहित अनेक क्षेत्रों में गंदगी का साम्राज्य स्थापित है कई बार इस आशय की खबरें भी प्रकाशित हुई किंतु नगर निगम में व्यापक पैमाने पर फैला भ्रष्टाचार इसमें बड़े से बड़े बाबू भी संलिप्त हैं और सब तक मिलाई पहुंचती है इस कारण कभी कोई भी सख्त फैसला नहीं लिया जा सका ना ही सरकारी तंत्र ने इस क्षेत्र में पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करने की जहमत करी|