जब तेरा नाम आया
सुरेंद्र सैनी...
जब भी बातों में तेरा नाम आया
हवाओं के संग कोई पयाम आया
उठा जो जिक्र तेरे लबों पर
याद करने भर का काम आया
तोड़कर दिल मेरा जो मुस्कुरा दिए
जाने कैसे ये उनका एहतराम आया
छुआ जो जख्म तो रक्त रिसने लगा
फिर कब जाकर मरहाम आया
देखते रहे लोग तड़पना गरीब का
खबर जब बनी तो उठकर आवाम आया
हसरतें कर रही बेचैन इस कदर
देखी जो तस्वीर तेरी तो आराम आया
रूठ कर चली गई थी कायनात "उड़ता"उड़ता
खोल कर देखी खिड़की तो सलाम आया