देश में होंगी खुशियां अपार
सुरेंद्र सैनी...
अन्न दाता अन्न का आधार
खेतों में पिसता जमीदार
किसानी की महिमा जानो
कैसे होगा इसका उद्धार
इसमें भरे संस्कार अपार
किसान से ना हुआ व्यापार
मुश्किलों में भी अन्न ऊपजाता
मौसम पर रहता दारमदार
आयोग बने हुए हजार
हुआ ना किसी से उपकार
जमीदार आत्महत्या कर रहा
नेता को मिलती जय-जयकार
मत बदलो अपना व्यवहार
रखो किसान से सरोकार
एक बार उभर जो जाए 'उड़ता'
देश में होंगी खुशियां अपार