बारिश का इंतजार है...

सुरेंद्र सैनी


उमस से मौसम सरोबार है.. 
सूरज की तन से हुए रार है|


पसीना छलक आए ऐसी रंजीश में.. 
ए बारिश तेरा इंतजार है|


जाने मानसून कहां द्वार है..
हवाओं का रुख भी तड़ीपार है|


तोआती तो दिल-ए-आरजू खिल जाती..
ए बारिश तेरा इंतजार है |


सूखा जलाशय का आकार है ..
यह ग्लोबल वार्मिंग का प्रकार है|


कर उठे त्राहि सब जीव जन्तु.. 
ए बारिश तेरा इंतजार है |


ये ऊष्म विधाता का व्यापार है.. 
मानव से कुदरतन हुआ अत्याचार है|


सास की डोरी का कसाव है.. 
ए बारिश तेरा इंतजार है|


देरी से वर्षा हर बार है.. 
जैसे इस पर नाराजगी सवार है |


ये रूह भी प्यासी हो चली "उड़ता".. 
अब तो बारिश तेरा इंतजार है||




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