अहिंसा व प्रेम से सभी समस्याओं का समाधान संभव-गांधी
मनोज मौर्य
लखनऊ। विश्व एकता सत्संग में बोलते हुए बहाई धर्मानुयायी भारती गाँधी ने कहा कि अहिंसा व प्रेम से सभी समस्याएं हल की जा सकती हैं। इसलिए आज की महती आवश्यकता है कि भावी पीढ़ी को शान्ति, एकता, अहिंसा एवं सादगी आदि गुणों का महत्व समझाया जाए।
डा. भारती गाँधी ने माताओं का आह्वान किया कि वो बच्चों में सद्गुणों के विकास पर जोर दें क्योंकि महिलाओं में धैर्य, साहस तथा करुणा का अपार भंडार है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि सी.एम.एस. में अहिंसा, शान्ति एवं विश्व एकता का पाठ पढ़ाया जाता है जिससे बच्चे बड़े होकर विश्व में एकता एवं शान्ति स्थापित कर सकें। इससे पहले, सी.एम.एस. शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर भजनों से विश्व एकता सत्संग का शुभारम्भ हुआ, जिन्होंने बहुत ही सुमधुर भजन सुनाकर सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर कर दिया।
विश्व एकता सत्संग में एक से बढ़कर एक आध्यात्मिक साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्रों ने सद्विचार, भक्तिगीत, एक्शन साँग, लघु नाटिका आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर छात्रों की माताओं ने भी गीत, संगीत व नृत्य का अनूठा समाँ बाँधकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्वजनों ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। सत्संग का समापन संयोजिका वंदना गौड़ ज्ञापन से हुआ।
लखनऊ। विश्व एकता सत्संग में बोलते हुए बहाई धर्मानुयायी भारती गाँधी ने कहा कि अहिंसा व प्रेम से सभी समस्याएं हल की जा सकती हैं। इसलिए आज की महती आवश्यकता है कि भावी पीढ़ी को शान्ति, एकता, अहिंसा एवं सादगी आदि गुणों का महत्व समझाया जाए।
डा. भारती गाँधी ने माताओं का आह्वान किया कि वो बच्चों में सद्गुणों के विकास पर जोर दें क्योंकि महिलाओं में धैर्य, साहस तथा करुणा का अपार भंडार है। डा. गाँधी ने आगे कहा कि सी.एम.एस. में अहिंसा, शान्ति एवं विश्व एकता का पाठ पढ़ाया जाता है जिससे बच्चे बड़े होकर विश्व में एकता एवं शान्ति स्थापित कर सकें। इससे पहले, सी.एम.एस. शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर भजनों से विश्व एकता सत्संग का शुभारम्भ हुआ, जिन्होंने बहुत ही सुमधुर भजन सुनाकर सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक उल्लास से सराबोर कर दिया।
विश्व एकता सत्संग में एक से बढ़कर एक आध्यात्मिक साँस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। छात्रों ने सद्विचार, भक्तिगीत, एक्शन साँग, लघु नाटिका आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर छात्रों की माताओं ने भी गीत, संगीत व नृत्य का अनूठा समाँ बाँधकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। विद्वजनों ने सारगर्भित विचार व्यक्त किये। सत्संग का समापन संयोजिका वंदना गौड़ ज्ञापन से हुआ।