गरीबी, आतंकवाद और सीमा पर युद्ध जैसी अंतरराष्ट्रीय समस्याओं के लिए यूरोपीय राजव्यवस्था दोषी - विश्वात्मा
वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के नीति निर्देशक और राजनीति, विज्ञान और अध्यात्म पर दर्जनों पुस्तकों के लेखक विश्वात्मा भरत गांधी ने राजनीति सुधारकों के प्रशिक्षण शिविर के तीसरे दिन कही। राजनीति सुधार और जीवन में सफलता की कला सिखाने के लिए वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल द्वारा भरत गांधी फाउंडेशन के सहयोग से 3 दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में भाग लेने वाले लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए विज्ञान, आध्यात्म, राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र पर दर्जनों पुस्तकों के लेखक दिल्ली से वीपीआई के नीति निर्देशक श्री विश्वात्मा भरत गांधी पहुंचे।
- शिविर में पहले दिन सफलता की कला के सत्र में विश्वात्मा ने लोगों को बताया कि व्यक्ति के जीवन की सफलता के लिए जरूरी है कि वह अपने अंदर प्रकृति द्वारा दिये गए गुण की तलाश करें और इस बात की तलाश करें और इस को पहचानने के बाद ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और लक्ष्य निर्धारित होने के बाद कठोर परिश्रम शुरू कर देना चाहिए साथ ही हमें यह भी देखना चाहिए जो कानून हमारे उस गुण और व्यक्तित्व विकास में बाधाएं है, उन कानूनों को सुधारने के लिए अन्य लोगों के साथ संगठित प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि संगठित प्रयास को राजनीति नहीं समझना चाहिए। यह व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है। ट्रैनिंग के दूसरे दिन विश्वात्मा भरत गांधी ने कहा कि आज की पूरी राजनीतिक व्यवस्था राष्ट्रवाद की संकीर्ण सोच पर बनी है, जिस में निर्यात के लिए सभी देशों की सरकारें अपने अपने देश के 90% लोगों तक पैसा नहीं पहुंचने देती। इसके लिए सरकारों ने तमाम कानून बना रखे हैं। इसलिए केवल सस्ते निर्यात के लिए आर्थिक तंगी जानबूझकर बनाकर रखी गई है। यह कृतिम गरीबी है, इसलिए इसको आर्थिक गुलामी कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि आर्थिक गुलामी खत्म करने के लिए यूरोप की तर्ज पर सभी देशों की साझी संसद, साझी सरकार, साझा न्यायालय, साझी पुलिस, साझी सेना और साझी मुद्रा बनाना जरूरी हो गया है। जिससे युद्ध की तैयारियों में लगने वाला पैसा गरीबी दूर करने में काम आए।
उन्होंने कहा कि आज जबकि पढ़े लिखे और कम पढ़े लिखे लोंगों का काम मशीनों ने छीन लिया है सभी लोगों को रोजगार देने की बात केवल नासमझी का सबूत है। इसलिए मशीनों के परिश्रम से और प्राकृतिक संसाधनों के कारण जो खरबों रुपया हर महीना पैदा हो रहा है उसे बिना शर्त प्रत्येक वोटर के खाते तक पहुंचाने के लिए वोटरशिप कानून बनना चाहिए। इस कानून के बनने से हर वोटर के खाते में देश की औसत आमदनी की आधी रकम यानी लगभग ₹6000 पहुंचने लगेगा और इससे गरीबी
गुलामी कृतिम गरीबी बेरोजगारी खत्म हो जाएगी और खतरनाक आर्थिक विषमता नियंत्रण में आ जाएगी।
उन्होंने कहा कि संसद में सैकड़ों सांसदों ने वोटरशिप का प्रस्ताव प्रस्तुत किया और वह एक्सपर्ट कमेटी द्वारा स्वीकार हो गया, फिर भी इसको ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। तब सन 2016 में वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि यह पार्टी सभी पार्टियों के वोटरों के आर्थिक अधिकारों के लिए काम कर रही है। शिविर के तीसरे दिन उन्होंने शिविर के प्रतिभागियों को वोटर्स पार्टी इंटरनेशनल के संविधान और पार्टी में प्राथमिक सदस्य और पदाधिकारी बनाने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि वीपी आई का संविधान अंतरराष्ट्रीय है क्योंकि पार्टी मानती है कि गरीबी, आर्थिक गुलामी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद जैसी समस्याएँ किसी एक देश की नहीं बल्कि अंतर्राष्टीय है और कोई अंतरराष्ट्रीय पार्टी ही इन समस्याओं का हल निकाल सकती है।
उन्होंने बताया कि वीपीआई चुनाव आयोग में पंजीकृत विश्व की एकमात्र अंतरराष्ट्रीय पार्टी है। राजनीति सुधारकों का शिविर कैपिटल हाल सभागार हजरतगंज में आयोजित हुआ। इस शिविर में उत्तर प्रदेश के के अलग अलग जनपदों और बिहार व झारखंड के बुद्धिजीवियों, समाज सेवकों और पार्टी के सदस्यों ने भाग लिया। -धर्मेन्द्र गुप्ता