अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव (आई.सी.एफ.एफ.-2019)
लखनऊ। शिक्षा, नैतिकता, चरित्र निर्माण व मनोरंजन की इन्द्रधनुषी छटा से सराबोर नजारा आज देखने लायक था। उल्लास व उमंग से दमकते हजारों की संख्या में उपस्थित छात्रों व युवाओं के चेहरों की रौनक यहाँ चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव की अभूतपूर्व सफलता की कहानी स्वयं बयां कर रही थी। बाल फिल्मोत्सव के पाँचवे दिन आज 26 विद्यालयों के लगभग दस हजार से अधिक छात्रों ने शिक्षात्मक बाल फिल्मों का आनंद उठाया और प्रेरणा ग्रहण की।
इस अवसर पर अभिनेता शाहबाज खान, अभिषेक दुहान एवं देव जोशी की उपस्थिति ने समारोह की रौनक में चार-चांद लगा दिये। हजारों की संख्या में उपस्थित छात्रों व युवाओं ने दिल खोलकर इन फिल्म हस्तियों का स्वागत किया। इससे पहले, अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव के पाँचवें दिन का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि अनिल गर्ग, आई.ए.एस., कमिश्नर, लखनऊ मंडल ने दीप प्रज्वलित कर किया जबकि एस. के. भगत, आई.पी.एस., आई.जी. पुलिस, लखनऊ रेंज, ने विशिष्ट अतिथि के रूप में समारोह की गरिमा को बढ़ाया। अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव में जिसमें 101 देशों की लगभग 550 चुनिन्दा बाल फिल्में निःशुल्क प्रदर्शित की जा रही हैं।
अन्तर्राष्ट्रीय बाल फिल्मोत्सव के पाँचवे दिन का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि अनिल गर्ग, आई.ए.एस., कमिश्नर, लखनऊ मंडल ने कहा कि सी.एम.एस. का यह बाल फिल्म महोत्सव बच्चों को स्वस्थ मनोरंजन प्रदान करने साथ-साथ शिक्षाप्रद भी है जो बच्चों के चारित्रिक गुणों को बढ़ाने में मददगार है। ऐसे आयोजनों की समाज को बहुत आवश्यकता है क्योंकि इससे समाजिक व्यवस्था के उत्तरोत्तर विकास को गति मिलती है। विशिष्ट अतिथि एस. के. भगत, आई.पी.एस., ने कहा कि नैतिक मूल्यों व चारित्रिक उत्कृष्टता से परिपूर्ण युवा पीढ़ी ही आदर्श सामाजिक व्यवस्था को गढ़ने में सक्षम हो सकती है। अतः नैतिक मूल्यों व चारित्रिक गुणों का भरपूर प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए। बाल फिल्मोत्सव का पाँचवा दिन छात्रों की गहमा-गहमी, चहल-पहल व उल्लास व उमंग से सराबोर रहा। छात्रों के साथ ही बड़ी संख्या में उनके शिक्षकों, माता-पिता व भाई-बहनों का आगमन उनके आनन्द को दोगुना कर रहा था। महोत्सव की खास बात यह रही कि बच्चों के साथ ही उनके अभिभावक और शिक्षक भी इस फिल्म फेस्टिवल से काफी प्रभावित दिखे।
अभिभावकों का कहना था कि उनके बच्चे इस फिल्म फेस्टिवल से काफी प्रसन्न हैं और यहाँ काफी कुछ सीख रहे हैं। कुछ अभिभावकों का कहना था कि बच्चों के लिए शिक्षात्मक फिल्मों का आज अभाव है, ऐसे में यह फिल्म फेस्टिवल बहुत लाभदायक प्रयास है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि इन बाल फिल्मों को देखने के लिए जो उत्साह व उमंग छात्रों व युवाओं में दिख रही है, उसका निश्चित ही सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह आयोजन अपने उद्देश्य में सफल होगा।
इस अन्तर्राष्ट्रीय महोत्सव में छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों के साथ ही गरीब, अनाथ व पिछड़े तबके के बच्चों की भारी भीड़ उमड़ रही है। बाल फिल्मोत्सव के चौथे दिन आज 26 विद्यालयों के छात्र सी.एम.एस. कानपुर रोड पधारे जिनमें आर्मी पब्लिक स्कूल, महर्षि विद्या मंदिर पब्लिक स्कूल, चर्च इंग्लिश स्कूल, सेंट फेडलिस स्कूल, फोस्टर एकेडमी, लखनऊ माडल पब्लिक स्कूल, न्यू मिलेनियम स्कूल, सेंट डोमनिक सेवियो कालेज, सेवन्थ थे एडवेन्टिस्ट स्कूल, एनलहाउस पब्लिक स्कूल, जनता गर्ल्स इण्टर कालेज, एच.ए.एल. स्कूल, न्यू बाल भारती स्कूल आदि शामिल हैं।
आज शिक्षात्मक फिल्मों की शुरुआत माइकल आगस्टो द्वारा निर्देशित स्पेन की बाल फिल्म ‘थर्टीन वेज टु सर्वाइव स्कूल’ से हुई। इसके अलावा समवन्स मिसिंग, द लास्ट ड्राप, स्कूल इज ए लाइट हाउस, वायरस, द काउन्टडाउन, चैम्पियन, ये कैसा जहान, लव अदर्स एज योरसेल्फ, फ्राग डॉग, रैबिट एण्ड फिश, ए बाइट फ्राम द एप्पल, द स्नोबाल, सॉरी अंकल, फ्राम एनअदर वर्ल्ड, ए टीचर्स लेसन, द फोटोफ्रेम, डोन्ट लूज हर्ट, ट्राई योर बेस्ट, रिपोर्ट कार्ड, डॉटर ऑफ इण्डिया, आउट ऑफ सर्विस, विरासत, यू आर ए टूरिस्ट, ए फोन काल टू हीवेन आदि आदि बाल फिल्में भी बच्चों को खूब रास आई। विभिन्न देशों की अलग-अलग भाषाओं में बनी फिल्मों को अंग्रेजी व हिन्दी अनुवाद भी फिल्म के साथ-साथ ही चलता रहता है जिससे बच्चे आसानी से फिल्म के कथानक को समझ सकें।
बाल फिल्मोत्सव के अन्तर्गत आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में अभिनेता शाहबाज खान, अभिषेक दुहान एवं देव जोशी ने पत्रकारों से मुलाकात की और खुलकर अपने विचार व्यक्त किए। पत्रकारों से बातचीत करते हुए इन प्रख्यात हस्तियों ने कहा कि सचमुच सी.एम.एस. का यह बाल फिल्मोत्सव अपने आप में अनूठा है। मुझे प्रसन्नता है कि इस प्रेरणादायी महोत्सव में पूरे विश्व की एक से बढ़कर एक शिक्षात्मक फिल्में दिखाई जा रही हैं। यदि अच्छी फिल्में देखेंगे तो मन में अच्छे व सकारात्मक विचार आयेंगे क्योंकि फिल्मों का बड़ा गहरा असर मन पर पड़ता है। फिल्म फेस्टिवल के चेयरमैन डा. जगदीश गाँधी ने कहा कि सी.एम.एस. के इस प्रयास ने आम लोगों में यह उत्साह जगाया है कि हमें मूकदर्शक बनकर भावी एवं युवा पीढ़ी को बुराईयों का निवाला बनते नहीं देखना है अपितु अच्छाई की ओर दो कदम चलकर अपना समर्थन व सहयोग देना है। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि बाल फिल्मों का यह अनूठा आयोजन सफलता के चरम सोपान पर है और प्रतिदिन हजारों की संख्या में छात्र, अभिभावक व शिक्षक बाल फिल्मोत्सव से प्रेरणा ग्रहण करने पधार रहे हैं।