मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर देने का माध्यम -संसदीय पत्रकारिता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकतंत्र समाज की अन्तिम पायदान पर स्थित व्यक्ति को मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर देने का माध्यम है। इस कार्य में मीडिया की बड़ी भूमिका है। यह भूमिका सकारात्मक ही हो सकती है। लेखनी के माध्यम से किसी सकारात्मक भाव को लाखों, करोड़ों व्यक्तियों का सकारात्मक भाव बना देने पर माता सरस्वती को भी प्रसन्नता होती है। सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करता है। मुख्यमंत्री ने विधान भवन स्थित तिलक हाल में उत्तर प्रदेश विधान सभा द्वारा आयोजित संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र को सम्बोधित करते हुए
विधान सभा अध्यक्ष एवं उनके सचिवालय द्वारा संवैधानिक संस्थाओं के सशक्तिकरण में संसदीय पत्रकारिता की भूमिका पर कार्यशाला के आयोजन के लिए साधुवाद देते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह कार्यशाला लोकतंत्र के लिए शुभ है। भारतीय संसदीय लोकतंत्र के तीन स्तम्भ विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका हैं। चौथे स्तम्भ के रूप में पत्रकारिता इससे स्वतः जुड़ता है। लोकतंत्र के इस चौथे स्तम्भ को नजरअन्दाज करने पर स्थिति त्रिशंकु की हो जाती है।
लोकतंत्र समाज के अन्तिम पायदान पर स्थित व्यक्ति को मुख्य धारा में शामिल होने का अवसर देने का माध्यम
त्रिशंकु का कोई लक्ष्य नहीं होता है। लोकतंत्र को त्रिशंकु नहीं होने देना है। संसदीय प्रक्रिया में नियमों के अन्तर्गत चर्चा होती है। यदि नियमों का पालन करते हुए संसदीय प्रक्रिया चले, तो सभी का पक्ष प्रभावी ढंग से आ सकता है। उन्होंने कहा कि विधायिका में उठने वाले मुद्दे सकारात्मक ढंग से बाहर आने पर जनान्दोलन बन जाते हैं, किन्तु जब यह आवाज बाहर नहीं पहुंचती, तो मानवता उससे लाभान्वित होने से वंचित रह जाती है। विधायिका के अन्दर की सकारात्मक चर्चा को आम जन तक पहुंचाने का दायित्व संसदीय पत्रकारिता का है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय परम्परा और पाश्चात्य परम्परा में मूलभूत अंतर है। भारतीय परम्परा का लेखन एवं साहित्य सुखान्त और प्रेरणादायी होता है। जबकि पाश्चात्य जगत का लेखन दुखान्त होता है, जिससे निराशा और हताशा आती है। यह लोगों को राह न दिखाकर अंधेरी गली में ले जाता है। भारत की रचनात्मक और सकारात्मक दृष्टि को संकुचित दृष्टि से नहीं समझा जा सकता। सकारात्मक दृष्टि सदैव मार्ग प्रशस्त करती है। सकारात्मक पत्रकारिता जन-जन की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सकती है। यह विकास योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने का माध्यम बन सकती है।
विधायिका के अन्दर की सकारात्मक चर्चा को आम जन तक पहुंचाने का दायित्व संसदीय पत्रकारिता का है
सकारात्मक दृष्टिकोण व्यक्ति को सदैव आगे बढ़ने को प्रेरित करता है
मुख्यमंत्री जी ने उनके द्वारा जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों से विद्यालयों को गोद लेने के आहवान एवं इस क्रम में एक विद्यालय के पुनरुत्थान के सम्बन्ध में मीडिया की एक सकारात्मक स्टोरी की चर्चा करते हुए कहा कि रचनात्मक पत्रकारिता से लोगों के जीवन में व्यापक बदलाव लाया जा सकता है। प्रयागराज कुम्भ-2019 एवं वाराणसी में 15वें प्रवासी भारतीय दिवस के सफल आयोजन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने इन आयोजनों को उत्तर प्रदेश की छवि को बेहतर करने के अवसर के तौर पर लिया।" />
प्रयागराज कुम्भ-2019 का सफल आयोजन प्रदेश की छवि को बदलने, युवाओं हेतु रोजगार के नये अवसर पैदा करने एवं पर्यटन को नया आयाम देने का माध्यम
इस कार्य में मीडिया के सकारात्मक सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि 15 जनवरी, 2019 से लेकर गत रविवार तक कुम्भ में 7.5 करोड़ लोगों ने स्नान कर लिया है। मौनी अमावस्या के पर्व पर लगभग 3 करोड़ लोग स्नान करेंगे। उन्होंने कहा कि कुम्भ का सफल आयोजन प्रदेश में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देगा। कुम्भ के पश्चात उत्तर प्रदेश पर्यटन के क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर होगा। उन्होंने कहा कि प्रयागराज कुम्भ-2019 का सफल आयोजन प्रदेश की छवि को बदलने, युवाओं के लिए रोजगार के नये अवसर पैदा करने एवं पर्यटन को नया आयाम देने का माध्यम है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में विधान सभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित ने संगोष्ठी के विषय का परिचय देते हुए कहा कि भारत ने संसदीय जनतंत्र अपनाया। जनतंत्र हमारी जीवनशैली, हमारा आचार एवं व्यवहार शास्त्र है। ऋग्वेद से पहले भी जनतंत्र था। भारत में आध्यात्मिक जनतंत्र भी देखा जाता है।
इस कार्य में मीडिया की बड़ी भूमिका, यह भूमिका सकारात्मक ही हो सकती है
सकारात्मक पत्रकारिता जन-जन की आकांक्षाओं का प्रतीक बन सकती है
हमारा जनतंत्र सदनों के माध्यम से संचालित होता है, जिसकी जानकारी संसदीय पत्रकारिता के माध्यम से आमजन तक पहुंचती है। उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तिगत मत है कि पत्रकारगण भी विधान सभा का विस्तार हैं। विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा संसदीय पत्रकारिता पर प्रबोधन किया जाएगा। इसका सभी को लाभ होगा। उन्होंने आग्रह किया कि संसदीय पत्रकारिता के माध्यम से भी सदन के अमावस और पूर्णिमा दोनों पक्षों को आमजन के सामने आना चाहिए।
जनतंत्र हमारी जीवनशैली, हमारा आचार एवं व्यवहार शास्त्र है : विधान सभा अध्यक्ष
कार्यक्रम के अन्त में, उपस्थित लोगों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधान सभा द्वारा संसदीय पत्रकारिता पर संगोष्ठी का आयोजन एक ऐतिहासिक कदम है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह आयोजन संसदीय लोकतंत्र और पत्रकारिता जगत दोनों के लिए उपयोगी होगा। और इसके निष्कर्ष सभी का मार्गदर्शन करेंगे। इस अवसर पर सूचना राज्य मंत्री डॉ0 नीलकंठ तिवारी, समाजवादी पार्टी के नेता इकबाल महमूद, बहुजन समाज पार्टी के नेता लालजी वर्मा, अपना दल के नेता नील रतन सिंह पटेल 'नीलू, विधान सभा के प्रमुख सचिव प्रदीप कुमार दुबे एवं पत्रकारगण उपस्थित थे।