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अच्छी सीख व सही मार्गदर्शन देती -सृजन शक्ति

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विशेष संवाददाता  लखनऊ। खयालो मैं कंगाली नहीं होनी चाहिए बड़ा सोचिए बड़ा मेहनत करिए और इसे हासिल कीजिए। सृजन शक्ति वेलफेयर सोसाइटी द्वारा एक दिवसीय नाट्य वर्कशॉप में डॉ सीमा मोदी रंगमंच कलाकार व समाज सेविका ने संगीत नाटक अकैडमी में वरिष्ठ रंगकर्मी व अभिनेता व भारतेंदु नाट्य अकैडमी के पूर्व छात्र राकेश श्रीवास्तव से एक दिवसीय वर्कशॉप कराई जिस जिसमे कई कलाकारों ने हिस्सा लिया। कैमरे के सामने खड़े हो तो लोग कहें... 'कौन है यह एक्टर' . . इतनी तैयारी रखो राकेश श्रीवास्तव ने कहा कि जो भी आप काम करते हैं उसे टू द प्वाइंट में बात करें क्लियरईटी से बात करें चाहे जो बोल रहे हो चाहे जो भी करते हो। दूसरा, पहले अपने आप को तलाशो चाहते क्या हो जीवन में, उसके बाद अपने आप को तराशो फिर उसके बाद उस मैदान में पहुंचो जहां तुम काम करना चाहते हो। कलाकार धीरज ने पूछा कि कैमरे में कब जाएं जाएं तो उन्होंने जवाब में कहा कि जब आप कैमरे के सामने खड़े हो तो लोग कहें *कौन है यह एक्टर* इतनी तैयारी रखो। कबीर कलाकार का सवाल था कि मुंबई हम लोग जाएं और वहां कैसे काम को करें तो उनका कहना था कि आप मुंबई अपनी पूरी तैय

हाँ शरीर मर जाता है.. विचार कभी मरता नहीं है.. 

रंगकर्म सिर्फ़ माध्यम भर नहीं मानवता का पूर्ण दर्शन मंजुल भारद्वाज रंगकर्म माध्यम है यह सोचने या मानने वाले अधूरे हैं वो रंगकर्म को किसी शोध विषय की तरह पढ़ते हैं या किसी एजेंडा की तरह इस्तेमाल करते हैं पर वो रंगकर्म को ना समझते हैं ना ही रंगकर्म को जीते हैं। ख़ासकर ‘रंगकर्म मानवता का दर्शन’ जानने वाले राजनेता या मुनाफ़ाखोर पूंजीपति जो सिर्फ़ इस माध्यम की ताक़त का ही दोहन करते हैं इसे दर्शन के रूप में स्वीकारते नहीं हैं या षड्यंत्र वश इसे ‘गाने-बजाने’ या आज की तुच्छ शब्दावली में ‘मनोरंजन’ तक ही देखना या दिखाना चाहते हैं। रंगकर्म का कला पक्ष ‘सौन्दर्य’ का अद्भुत रूप है। यह सौन्दर्य पक्ष चेतना से सम्पन्न ना हो तो भोग के रसातल में गर्क हो जाता है और रंगकर्म सत्ता के गलियारों में जयकारा लगाने का या पूंजीपतियों के ‘रंग महलों’ में सजावट की शोभा भर रह जाता है। दरअसल रंग यानी विचार और कर्म यानी क्रिया का मेल है। विचार दृष्टि और दर्शन से जन्मता और पनपता है, जबकि कर्म कौशल से निखरता है। नाचने, गाने या अभिनय, निर्देशन आदि कौशल साधा जा सकता है जैसे सरकारी रंगप्रशिक्षण संस्थान करते हैं पर दृष्टि को साधना

बच्चो को निशुल्क शिक्षा -करुणा कांत मौर्य

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संतोष कुमार  मिर्जापुर। लालगंज विकासखंड के सामने कान्वेंट स्कूल में स्नातक एमएलसी प्रत्याशी करुणा कांत मौर्य से जानकारी प्राप्त हुआ कि मैं आजमगढ़ का मूलनिवासी हुँ। लेकिन प्रॉपर बलिया में रहता हूं और बनारस से लेकर मिर्जापुर तक कुल मिलाकर आठ जिले का एमएलसी प्रत्याशी हूं और मैं अपने सभी जिलों में प्रचार के दौरान लोगों से मिलने का काम कर रहा हूं। इसी क्रम में लालगंज में भी आकर अपने सहयोगी साथियों के साथ बैठकर चुनाव प्रचार पर चर्चा करते हुए कमेटी का गठन किया। गया जिसने गांव-गांव जाकर हर एक वोटर साथी से मिलने का काम किया जाए और वादा किए कि मैं चुनाव जीत कर जाऊंगा और सभी बेरोजगारों के लिए भारत सरकार से मांग करेंगे जैसे कि शिक्षा सर्विस न्यायपालिका कार्यपालिका में बराबर प्रतिनिधित्व दिया जाए। शिक्षा निशुल्क किया जाए जिसमें सभी गरीब परिवार के बच्चे एवं बच्चियां शिक्षा प्राप्त कर सकें।

कोरोना के चौथे चरण में छह दिवसीय डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया

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..ढूंढे जायेंगे सर्दी, जुकाम, खांसी और सांस के मरीज? वशिष्ठ मौर्य  देवरिया। जिला प्रशासन के निर्देश पर कोरोना के संभावित मरीजों का पता लगाने के लिए चौथे चरण में छह दिवसीय डोर-टू-डोर सर्वे शुरू किया जायेगा है। सर्वे कार्य के लिए आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी सहित इस बार नगर पालिका और नगर पंचायत के सुपरवाइजर भी लगाए गए हैं। सीएमओ ने बताया कि चौथे चरण का सर्वे मंगलवार से प्रारंभ होगा जो 30 नवम्बर तक चलेगा। अन्य प्रदेशों में दोबारा बीमारी बढ़ने के कारण सर्वे कराया जा रहा है। इस दौरान सर्वे टीम घर-घर जाकर सर्दी, जुकाम, खांसी और सांस लेने में तकलीफ वाले मरीजों को चिन्हित करेंगी। 9 निकायों के 161 वार्डों में डोर-टू-डोर सर्वे किया जायेगा।  उन्होंने लोगों से अपील की है कि जिन्हें सर्दी, जुकाम, खांसी अथवा सांस लेने में तकलीफ है वह सर्वे टीम को अवगत कराएं। सर्वे सर्विलांस टीम की निगरानी में किया जायेगा। संभावित मरीजों की पहचान कर उनकी सूची विभाग को दी जाएगी ताकि उनके नमूने लिए जा सकें। यही नहीं, कोरोना के संभावित मरीजों के पड़ोसियों का मोबाइल नंबर भी टीम को जुटाना है। प्रत्येक दिन सुबह आठ से दोपहर तीन ब

अनुज साहू को मिला साहित्यश्री पुरस्कार

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बच्छराज सिंह मौर्य  फतेहपुर (हथगाम)। नगर में विभिन्न आयु वर्ग के कवियों एवं शायरों की एक लंबी फेहरिस्त सामने आ रही है जो किसी भी नगर के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। इसी क्रम में युवा कवि और शायर अनुज साहू शम्स को उनकी रचनाओं के लिए उत्तराखंड की ओर से साहित्यश्री सम्मान से नवाजा गया है। बुलंदी जज्बात ए कलम संस्था उत्तराखंड के तत्वावधान में आयोजित एक समारोह में हिंदी साहित्य को समृद्ध करने में अपने लेखन से उत्कृष्ट योगदान करने हेतु हथगाम निवासी पत्रकार राकेश साहू के पुत्र अनुज साहू शम्स को साहित्यश्री से सम्मानित किया गया।  यह सम्मान संस्था के संस्थापक डॉक्टर विवेक बादल बाजपुरी एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने प्रदान किया। पुरस्कार पाने के बाद हथगाम आए युवा कवि एवं शायर शम्स हथगामी को बधाई दी गई। बधाई देने वालों में कवि एवं शायर शिवशरण बंधु हथगामी, डॉ वारिस अंसारी, समीर शुक्ला, शिवम् हथगामी, राजेंद्र कुमार यादव, शिव सिंह सागर, वसीक सनम, शोएब खान, जीशान इलाहाबादी, शैदा मुवारवी, तौकीर गाजी, अहमद रियाज, नीलेश मौर्य, सफी हंबल, श्रवण लोधी, विजय हथगामी, उमाकांत मिश्र, प्रदीप सिंह च

...ये देख यू पी पुलिस का तमाचा? -डॉ सीमा

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काहे कैला हो बाबूजी दुरंगी नीतियां? गाने पर आधारित बेटा बेटी समान परवरिश अक्षता कुशवाहा  लखनऊ। समान शिक्षा व छेड़खानी पर नुक्कड़ नाटक *दुरंगी नीतियां* को डॉ सीमा मोदी व टीम ने सृजन शक्ति वेलफ़ेयर सोसाइटी की तरफ से प्लासियो मॉल गोमतीनगर विस्तार में प्रस्तुत किया। उ प्र के मुख्य मंत्री  द्वारा घोषित स्त्री सुरक्षा एवं स्वाभिमान को समर्पित योजना " मिशन शक्ति" के प्रसार हेतु प्रसिद्ध रंग एवं समाज सेवी संस्था सृजन शक्ति वेल्फेयर सोसाइटी के अंतर्गत प्रसिद्ध रंगकर्मी अभिनेत्री व समाजसेविका डॉ सीमा मोदी ने अपनी टीम के साथ नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन लखनऊ के प्लासियो मॉल में किया। जेहि कोखे बेटा जनमल वही कोखे बिटिया दुरंगी नीतियां दुरंगी नीतियां नाम से खेले गये नाटक में घर पर बेटा बेटी के समान परवरिश समान शिक्षा के लिए कहानी में भाई व बहन के घरेलू नोजझोक में पापा द्वारा बेटी की पढ़ाई बन्द कर दिया जाता है जिसमे माँ इसके विरोध में खड़ी होती है जब तब भाई व पापा और भाई को गलती का एहसास होता है और बेटी की पढ़ाई शिक्षा आगे बढ़ती है।  कालेज जाने वाली लड़की ,महिलाएं या बच्चियों के साथ होती छेड़खानी व इसक

सड़क, बिजली और विकास का भ्रम!

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विकास का मसीहा बनकर राज कर रही सरकार? मंजुल भारद्वाज भूमंडलीकरण के बाद हर सरकार सड़क बनाने और हर घर तक बिजली पहुँचाने का महान कार्य कर विकास की माला जप रही है. पर सरकार सड़क और बिजली पर इतना ज़ोर क्यों दे रही है? क्या सरकार पूरी सच्चाई और ईमानदारी से जनता की भलाई कर रही है? उसका सीधा जवाब है नहीं और उसके मुख्य कारण हैं. निजीकरण भूमंडलीकरण का प्राण है. इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी जिसको मूलभूत ढ़ांचा कहते हैं का विकास अनिवार्य है. जिसका मतलब है सड़क और बिजली. सड़क निर्माण लाभ की मलाई है. सड़क निर्माण निजी कम्पनियों के मुनाफ़े की खान है. सरकार अपनी सहभागिता का ढोंग करती है पर सारा खेल निजी कम्पनियों का है . सड़क बनाने का ठेका नेताओं के लिए कुबेर की खान है. इसलिए संसद में सबसे पहले यह आंकड़ा छाती ठोंक कर दिया जाता है की सड़क बनाने की रफ़्तार क्या है. सड़क बनने के बाद टोल टैक्स जनता की सरेआम लूट है. असल मकसद सड़क निर्माण का है, देश की सम्पदा को जल्दी से लूटना! बिलकुल वैसे ही जैसे अंग्रेजों ने भारत में रेल का जाल बिछाया था. जनता का विकास सरकार को करना था तो सरकार बताये कितने सरकारी स्कूल खोले गए कितने सरकारी अस