यूपीपीसीएल के विद्युतकर्मीयो की डुब गयीं खून पसीने की कमाई ?
अरबो रुपये के मास्टर माइंड प्लानर को पकड़ने के बजाय उसके बचाव मे उल्टेसीधे बयान बाजी कर रही है जो सरकार की करनी और कथनी के अंतर को दर्शाता है... यह संकेत कर्मचारियो के आंदोलन की आग मे घी डालने जैसे हालात पैदा हो गये हैं... क्या अब शुरू होगी बड़ी लड़ाई .. लखनऊ। यूपीपीसीएल मे पीएफ के अरबो रूपये के घोटाले पर जहाँ एक ओर विद्युतकर्मी आंदोलनरत है वही दूसरी ओर सरकार मानो दोनो कानो मे तेल डालकर ऊपर से रुई लगाकर सोई हुई है और खामोशी से गांधीवादी आन्दोलन को नजर अंदाज करके उसके उग्र होने का इन्जार कर रही है आश्चर्य इस बात का है कि सरकार द्वारा जिस जाँच एजेन्सी को इस घोटाले की जिम्मेदारी सौपी है वह जाँच एजेन्सी इस घोटाले के मुख्य आरोपियो पर हाथ डालने से डरती नजर आ रही है वैसे एक बात और समझ मे नही आ रही है। जब प्रदेश का DGP ही प्रमुख सचिव गृह के आधीन होता है और इस पद एक भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सेवा रत है तो क्या वो अपने साथी जो कि अध्यक्ष के तौर पर वहाँ अवैध रूप से सिर्फ़ और सिर्फ़ भ्रष्टाचार करने के लिए ही नियम विरुद्ध नियुक्त किए गये थे ऐसा नहीं है कि यह पहली नियुक्त है वरन ऐसा सन् 2000